इंदौर। वर्तमान में मरीज के स्वजन व डाक्टरों के बीच अविश्वास काफी बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि तीन वर्षों में चिकित्सा अनदेखी के धारा 304 ए के प्रकरणों में डाक्टरों के खिलाफ कोर्ट में 850 केस रजिस्टर हुए हैं। पिछले दिनों ऐसा प्रकरण भी सामने आया किसी धार्मिक गुरु के कहने पर मरीज के स्वजन ने चिकित्सकों पर आरोप लगाए कि मरीज को बेवजह वेंटिलेटर पर रखा गया। इस पर चिकित्सकों ने मरीज की धड़कनें व पल्स छूकर स्वजन को दिखाईं और उसके बाद वह मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटा। चिकित्सकों के प्रति आम लोगों में जो अविश्वास बढ़ा है, उसे कम करने में सरकार, सिविल सोसायटी और यहां तक कि चिकित्सकों ने भी कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है।
ये बातें इंडियन सोसायटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आइएससीसीएम) के 29वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील महेंद्र वाजपेयी ने नईदुनिया के चर्चा में साझा की। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान काफी संख्या में मरीजों की मौत हुई। जिला कोर्ट से हाई कोर्ट तक काफी प्रकरण पहुंचे। हालांकि, ज्यादातर मामलों में कोर्ट ने डाक्टरों के पक्ष में निर्णय दिया है।
स्वजन को मरीज की पूरी जानकारी दें
उन्होंने बताया कि अस्पताल में सर्जरी के पूर्व मरीज के स्वजन की लिखित स्वीकृति ली जाती है। चिकित्सकों की जिम्मेदारी है कि वो मरीज के बारे में पूरी जानकारी दें। मरीज के चिकित्सा उपचार का रिकार्ड 72 घंटे के अंदर अस्पताल प्रबंधन को मरीज व स्वजन को देना अनिवार्य है।
चिकित्सकीय अनदेखी होने पर मरीज व स्वजन के अधिकार
स्वजन कंज्यूमर कोर्ट में जा सकते हैं।
बहुत बड़ी अनदेखी हो तो पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज करवा सकते हैं।
मेडिकल काउंसिल के सामने भी जा सकते हैं।
डाक्टर बने वकील, जज व फरियादी
शनिवार को कांफ्रेस में मूट कोर्ट का आयोजन हुआ। इसमें चिकित्सक वकील, जज और मरीज के स्वजन की भूमिका में नजर आए। मूट कोर्ट में इंदु शर्मा वर्सेस सुहानी वर्मा के केस पर चर्चा की गई। इस केस में 12 साल के बच्चे की इलाज के दौरान मौत के प्रकरण में अस्पताल द्वारा चिकित्सकीय गाइडलाइन का पालन न करने पर कोर्ट ने पीडि़त परिवार के पक्ष में निर्णय दिया था। जज की भूमिका डा़ आसिफ इकबाल, वकील की भूमिका में डा. प्रज्ञान राउतरे, डा. राकेश बेरीवाल थे। डाक्टर की भूमिका में डा. पूजा मूर्ति, मरीज के स्वजन की भूमिका में डा. पूनम राय व अन्य चिकित्सक थे।
इंदौर
डाक्टरों पर बढ़ते अविश्वास को कम करने के लिए नहीं हुए प्रयास
- 27 Feb 2023