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इंदौर

दिग्विजय यात्रा निकली, 75वें पदारोहण समारोह में आचार्य विद्या सागर महाराज का जन्मोत्सव मना

  • 10 Oct 2022

इंदौर। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट छत्रपति नगर द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्मोत्सव दिग्विजय यात्रा निकाल रविवार को मनाया गया। कांच मंदिर से निकली इस दिग्विजय यात्रा के साक्षी असंख्य जैनधर्मावलम्बी बने। यात्रा में अग्र भाग में जहां सैकड़ो लोग जैन ध्वजा थामे अपने हाथ में थे वहीं बीच में घोड़े और बग्घियों में बच्चे थे। दिग्विजय यात्रा में आचार्यश्री विद्या सागर महाराज की जन्मभूमि ग्राम सदलगा (कर्नाटक) की मनमोहन झांकी भी बनाई गई थी जो यात्रा में सभी समाज बंधुओं के लिए आकर्षण का केंद्र थी।   श्री आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट छत्रपति नगर एवं चातुर्मास संयोजक विपुल बांझल, सचिन सुपारी ने बताया कि दिग्विजय यात्रा के पूर्व सुबह के सत्र में छत्रपति नगर स्थित दलालबाग में आर्यिका पूर्णमति माताजी ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा भी की। वहीं दोपहर 2 बजे कांच मंदिर से दिग्विजय यात्रा का शुभारंभ किया गया।
दृष्टा को सही दृष्टि देने वाला ही सच्चा गुरु-  कैसे मनाएं उनका जन्म दिवस जो कहते हैं मेरा जन्म हुआ ही नहीं, मैं जनम मरण से परे हूँ। जो सदा ही जीते रहते हैं जिनका वास्तव में जन्म होता ही नहीं फिर भी कहते हैं आज जन्म दिवस मना रहे हैं। आचार्य विद्यासागर जी ऐसे ही एक भावी भगवान है जिनका हम आज प्राकट्य दिवस मना रहे हैं। सच्चा गुरु वही होता है जो दृष्टा को सही दृष्टि प्रदान करे। यह बात आर्यिका पूर्णमति माता जी ने आज दलाल बाग में दिगम्बर जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज के 75वें पदारोहण समारोह में आचार्यश्री के जन्मोत्सव पर कही।
जैन धर्मावलंबी बने साक्षी- दिग्विजय यात्रा संयोजक पारसनाथ ग्रुप एवं पुलक मंच परिवार ने बताया कि  आचार्यश्री के जन्मोत्सव पर समाज द्वारा सीतलामाता बाजार स्थित कांच मंदिर से दिग्विजय यात्रा निकाली गई। यात्रा में अश्वों पर सवार बच्चे हाथों में धर्म ध्वजा लिए तथा करीब दो दर्जन बग्गियों में इंद्र इंद्राणी स्वरूप समाजजन सवार थे। एक ट्राली में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के जन्म की झांकी भी प्रदर्शित की गई थी जो आकर्षण का केंद्र थी। यात्रा में महिला भजन मंडलियों द्वारा भजनों की प्रस्तुति भी दी गई। कांच मंदिर से प्रारम्भ दिग्विजय यात्रा मल्हारगंज, बड़ा गणपति होते हुए दलाल बाग पहुंची।