बेटी के इलाज में सबकुछ गंवाया; मौत के बाद अब उठ रहे मदद के हाथ
सतना। सुबह के करीब 4 बज रहे होंगे, पिता का फोन आया। मैंने कॉल उठाया तो उधर से आवाज आई, बेटा- अब जिंदगी से थक गया हूं। ये बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। अनहोनी के डर से मैं सिहर उठी। रोते हुए उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन बंद हो गया। सुबह फिर उनकी मौत की खबर आई...
ये कहना है सतना की उस बेटी का। जो एक हादसे में अपने हाथ-पैर गंवा बैठी थी। पिता ने बेटी के इलाज के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। वह कर्ज में डूब गए। जब हालात असहनीय हो गए, तो ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी। बेटी का कहना है कि पिता ने खूब संघर्ष किया। वे जिंदा थे तो कोई मदद को आगे नहीं आया। अब उनकी मौत के बाद मदद के हाथ उठ रहे हैं। अगर यही मदद पहले मिल गई होती तो शायद मेरे पिता की जान न जाती।
यह कहानी है ट्रांसपोर्ट नगर में रहने वाले प्रमोद कुमार गुप्ता (55) की। उन्होंने मुख्त्यारगंज रेलवे फाटक के पास रेल ट्रैक पर ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी थी। वे रात करीब साढ़े 10 बजे घर से निकले थे। अलसुबह करीब 4 बजे बेटी अनुष्का (21) को आखिरी फोन किया था। पिता की बात सुनकर बेटी ने चाचा और पिता के दोस्तों को कॉल लगाया। सभी उन्हें तलाश रहे थे कि मंगलवार सुबह रेलवे ट्रैक पर किसी के कटने की खबर आई। पुलिस पहुंची और शव की शिनाख्त प्रमोद कुमार गुप्ता के रूप में हुई।
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पिता का लास्ट कॉल- अब जिंदगी से थक गया हूं..
- 22 Apr 2023