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इंदौर

पराली से आबोहवा के फिर प्रदूषित होने का खतरा, रोकथाम जरूरी

  • 20 Feb 2023

इंदौर।  जिले में होने वाली खेती से शहर की हवा के प्रदूषित होने का खतरा फिर से मंडरा रहा है। दरअसल, मार्च में किसान खेतों से गेहूं की फसल काटेंगे। इसके बाद पराली में आग लगा देने की घटनाएं सामने आएंगी। गर्मी में हवा तेज चलने से पराली के कण शहर में आ जाते हैं। इससे प्रदूषण बढ़ता है। इसके लिए अभी से उचित कदम नहीं उठाए गए तो हर साल की तरह इस साल भी मार्च-अप्रैल में प्रदूषण का उच्चतम स्तर आना तय है।
जानकारी के अनुसार, इंदौर में हर साल पराली को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चेतावनी जारी की जाती है। इसके बाद भी पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं आती है। पिछले साल मार्च में आदेश निकाला गया था, जिसमें पराली जलाने पर दो एकड़ से कम भूमि रखने वाले किसान को 2500 रुपये, पांच एकड़ जमीन वाले को 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले किसान को 15000 रुपये की पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी। इंदौर में बीते साल केवल सनावदिया में एक किसान पर जुमार्ना किया गया था। बोर्ड के पूर्व प्रयोगशाला अधिकारी डा. डीके वागेला बताते हैं कि मार्च-अप्रैल में पराली के मामले ज्यादा सामने आते हैं। तापमान गर्म होने से इन दिनों हवा हल्की होती है। इसलिए प्रदूषणकारी तत्व हवा में ऊपर चले जाते हैं। तेज गति से हवा चलने से पूरे शहर में इसके कण फैल जाते हैं।
सर्वे में भी प्रदूषण का कारण निकली थी पराली
बीते साल अक्टूबर में इंदौर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए ह्यसोर्स अपाच्र्युनिटी सर्वेह्व कराया गया था। इसमें यह बात सामने आई थी कि शहर में बढ़ते प्रदूषण के लिए उद्योग, वाहन, खेतों में जलाई जाने वाली पराली व अन्य खुले तौर पर जलाए जाने वाला कचरा जिम्मेदार है। देश के एक लाख से अधिक की आबादी के 132 शहरों में सर्वे किया गया था।
तीन हिस्सों में निगरानी स्टेशन
शहर में रीजनल पार्क, रीगल तिराहा और विजय नगर में प्रदूषण निगरानी स्टेशन बनाए गए हैं। लेकिन तीनों ही स्थानों पर प्रदूषण की अलग-अलग स्थिति आ रही है। इसके अलावा जो तीन नए स्टेशन स्थापित किए गए हैं। उनके डाटा अभी सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं। पिछले दिनों महापौर ने इसका शुभारंभ किया था।