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इंदौर

बर्नार्ड शॉ ने पहले ही कह दिया था आजादी के बाद गांधी या जेल में डाले जाएंगे या मार दिए जाएंगे- डॉ. त्रिवेदी

  • 31 Jan 2023

प्रेस क्लब में हुआ दिलचस्प व्याख्यान - 25 दिवसीय ह्यझंडा ऊंचा रहे हमारा - अभियान का हुआ समापन
इंदौर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या बाद में हुई अलबत्ता जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने पहले ही कह दिया था कि भारत की आजादी के बाद गांधी जी को या तो जेल में डाल दिया जाएगा या उनकी हत्या कर दी जाएगी ।
कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ चिंतक व गांधीवादी विचारक डॉ. करुणाकर त्रिवेदी ने इंदौर प्रेस क्लब में 'गांधी का जीवन और दर्शन' विषय पर व्याख्यान देते हुए यह बात कही।  संस्था सेवा सुरभि और इंदौर प्रेस क्लब द्वारा झंडा ऊंचा रहे हमारा अभियान के समापन पर आयोजित सदभावना सभा के तहत इस व्याख्यान का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वरयोग कला अकादमी की सुश्री वैशाली बकोरे के निर्देशन में और उनकी सुशिष्याओं ने गांधीजी के प्रिय भजनों की सुरीली प्रस्तुतियां दी। प्रारंभ में गांधीवादी कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी,  संस्था सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा, पद्मश्री जनक पलटा, प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी, कुमार सिद्धार्थ आदि ने बापू के चित्र पर माल्यार्पण किया। अतिथियों का स्वागत प्रमोद डफरिया, वीरेन्द्र गोयल, मुरलीधर धामानी, प्रीतमलाल दुआ, मालासिंह ठाकुर, रामेश्वर गुप्ता, डॉ. ओ.पी. जोशी, मोहन अग्रवाल आदि ने किया। कार्यक्रम में  जयंत भिसे, एनी पंवार, डॉ. जयश्री सिक्का, श्रीमती अनिता अग्रवाल, गौतम कोठारी सहित  बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे। संचालन किया रंगकर्मी संजय पटेल ने।
व्याख्यान की शुरूआत में त्रिवेदी ने कहा कि यदि गांधी के मूल्य जीवन में बने रहें तो जीवन कृतार्थ हो जाता है। गांधी को बहुत संस्कारी मां मिली थी। बाद में वो शिक्षा के लिए विलायत गए और वहां से बैरिस्टर बनकर लौटे, लेकिन अपने पेशे में असफल रहे। उस समय वकालत के लिए भी दलाली देना होती थी और गांधी को यह मंजूर न था।  फिर,  वे दक्षिण अफ्रीका गए और वहां एक फर्म से जुड़ गए। वहीं उन्होंने सत्याग्रह का विचार ग्रहण किया। बाद में वहीं उनके साथ वो ट्रेन वाली बहुचर्चित घटना हुई और तब पहली बार उनके विचार की दृढ़ता उभरी। उन्होंने तय किया कि रंगभेद या किसी भी भेद को लेकर पूरी दुनिया में ऐसी घटना फिर न हो। उस घटना के बाद उन्होंने शासन का विरोध किया और जेल गए। तभी उन्होंने विचार किया कि वो जो भी करेंगे वो सत्य के लिए करेंगे। जेल में उन्होंने जूते-चप्पल बनाने का काम सीखा। आगे वो वहां बहुत यशस्वी हुए और पैसा भी खूब कमाया।
व्याख्यान के बाद शहीद दिवस के उपलक्ष्य में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को याद किया गया। संस्था सेवा सुरभि की ओर से संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा ने अंत में 25 दिवसीय झंडा ऊंचा रहे हमारा अभियान के समापन की घोषणा करते हुए आश्वस्त किया कि अगले बरस और बेहतर एवं नई पीढ़ी के लिए उपयोगी कार्यक्रमों के साथ यह अभियान चलाया जाएगा।