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इंदौर

मोतियाबिंद का इलाज करवाने आए 50 प्रतिशत डॉग्स होते हैं डाइबिटिक

  • 03 Sep 2022

एक्स्ट्रा ऑक्युलर सर्जरी इन स्मॉल एनिमल प्रैक्टिसेज विषय पर शुरू हुई वर्कशॉप शामिल हुए देश-विदेश के सैकड़ों विशेषज्ञ
इंदौर। यदि आप सोचते हैं कि डाइबिटीज सिर्फ इंसानों की बीमारी है तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक मोतियाबिंद का इलाज करवाने आए 50 प्रतिशत डॉग्स डाइबिटिक होते हैं। इंसानों की तरह डाइबिटीज की समस्या पेट्स में भी बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण गलत और ज्यादा खानपान है।
होटल सयाजी में यूनाइटेड स्मॉल एनिमल प्रेक्टिशनर एसोसिएशन ऑफ एमपी एंड सीजी द्वारा आयोजित एक्स्ट्रा ऑक्युलर सर्जरी इन स्मॉल एनिमल प्रैक्टिसेज विषय पर शुरू हुई तीन दिनी वर्कशॉप में यह बात बिलासपुर से आए एक्सपर्ट डॉ पियूष दुबे ने कही। वर्कशॉप के ऑगेर्नाइजिंग सेक्रेटरी डॉ नरेंद्र चौहान ने बताया कि इस तीन दिनी कॉन्फ्रेंस के पहले दिन छोटे पेट्स की आँखों से जुड़ी समस्याओं और उनके इलाज पर विस्तार से चर्चा की गई। डॉ चौहान ने कहा कि हमारे देश में सुविधाएँ तो हैं पर एक्स्ट्रा ऑक्युलर सर्जरी हमें बहुत विस्तार से नहीं पढाई जाती है इसलिए इस तरह की वर्कशॉप ही हमारे लिए सीखने का एकमात्र माध्यम है।  
जंगली जानवरों की सर्जरी है ज्यादा चुनौतीपूर्ण
इस वर्कशॉप के लिए खासतौर से साउथ अफ्रीका से आए एक्सपर्ट डॉ आइजेक वेंटर हाथी, लेपर्ड, भालू और पॉक्युपाइन जैसे बड़े और जंगली जीवों की सर्जरी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि जानवरों की सर्जरी वैसे तो इंसानों की तरह ही होती है पर इसमें चुनौतियाँ कहीं ज्यादा होती है। पालतू जीवों की सर्जरी करने के बाद हम उन्हें पोस्ट-ऑपरेशन केयर दे सकते हैं पर जंगली जीव होश में आने के बाद तुरंत भाग जाते हैं, ऐसे में उन्हें हम बाद में कोई भी दवाई नहीं दे पाते हैं, हमें एक ही बार में पूरा इलाज करना होता है।