जिस वीडियो को दिखाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया, वह वास्तव में बनाया ही नहीं गया
इंदौर। मकान हड़पने के लिए एक महिला काफी हद नीचे गिर गई और जिससे मकान का विवाद चल रहा था, उसके खिलाफ बलात्कार का प्रकरण दर्ज करवा दिया। लेकिन कहावत है कि सच्चाई कभी छिप नहीं सकती, ये बात कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केपी माहेश्वरी और उनकी टीम ने सही साबित कर दी जिस पर दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था, वह इस मामले में बरी हो गया। अधिवक्ताओं के तर्कों से कोर्ट भी सहमत हुई और यह स्षष्ट हो गया कि जिस वीडियो को दिखाकर बार-बार ब्लैकमेल करते हुए दुष्कर्म करने का आरोप महिला ने लगाया था, वो वीडियो वास्तव में बनाया ही नहीं गया।
यह था मामला- अधिवक्ता केपी माहेश्वरी के अनुसार, सिंधी कालोनी में रहने वाली विवाहिता ने अगस्त 2018 में रावजी बाजार थाने में पति दिलीप के साथ पहुंचकर रिपोर्ट लिखाई थी कि त्रिवेणी कालोनी निवासी चंद्रेश खंडेलवाल ने चार साल पूर्व फोन कर घर बुलाया जहां नशीली चाय पिलाई जिसके बाद वो बेहोश हो गई। होश में आने के बाद अपने घर चली गई। तीन दिन बाद आरोपी ने फोन लगाकर घर बुलाया और मोबाइल में उसके साथ दुष्कर्म का वीडियो दिखाया। मिन्नतें करने पर भी वह वीडियो डिलीट नही किया और पति को दिखाने व वायरल करने की धमकी देकर कई बार अस्मत से खिलवाड़ करता रहा। तंग आकर अप्रैल 2018 में पति को सारी जानकारी बताने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई। अभियुक्त चंद्रेश खंडेलवाल ने कोर्ट में बताया कि महिला और उसके पति के बीच मकान का विवाद है। ये मकान मेरा है। महिला का परिवार मकान हड़पना चाहता है जबकि उक्त मकान खाली कराने का दावा कोर्ट में लगाया गया है, इसलिए महिला ने उसे फंसाया है।
न्यायालय या पुलिस को नहीं सौंपा वीडियो
करीब 3 साल तक न्यायालय में मामले का विचारण चला] जिसमें फरियादी अपने पति सहित पुलिस ने भी अभियोजन का पक्ष रखा। निर्णय में अष्टम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्रीमती चारूलता दांगी विशेष न्यायाधीश औएडब्ल्यू ने अभियुक्त की ओर गवाहों के प्रतिपरीक्षण में पाया कि महिला मोबाइल से वीडियो बनाना बताती है लेकिन ऐसा कोई वीडियो पुलिस या न्यायालय को नहीं सौंपा है। पुलिस की जांच में भी कोई वीडियो इस तरह का नहीं मिला।
तब तक दंडित नहीं किया जा सकता
अपर सत्र न्यायाधीन श्रीमती चारूलता दांगी ने मत अभिमत किया कि आरोपी के विरुद्ध कितना भी संदेह है और न्यायाधीश का कितना भी प्रबल, नैतिक विश्वास और निश्चय हो, परंतु जब तक वैध साक्ष्य अभिलेख की विषय वस्तु के आधार पर युक्तियुक्त करने से परे दोष सिद्ध नहीं होता है तब तक किसी आरोपी को किसी अपराध में दंडित नहीं किया जा सकता। प्रकरण में आरोपी चंद्रेश खंडेलवाल की ओर से पैरवी अधिवक्ता केपी माहेश्वरी, प्रतीक माहेश्वरी, पवन तिवारी, सौरभ जैन, अमृता सोनकर, पुनीत माहेश्वरी, दीपक चौहान एवं शिशुपाल ठाकुर द्वारा की गई।
इंदौर
मकान हड़पने को लगाया झूठा दुष्कर्म का केस, कोर्ट में खारिज
- 08 Sep 2022